Anandmath

About The Book

आनंदमठ बंकिमचंद्र जी का राजनीतिक उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में देशभक्ति की भावना है। अंग्रेजों ने इस ग्रन्थ पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। इस कृति का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के क्रांतिकारियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् इसी उपन्यास से लिया गया है। आनंदमठ के तब से अब तक न जाने कितनी भाषाओं में कितने संस्करण छप चुके हैं। महर्षि बंकिम ने अप्रशिक्षित किन्तु अनुशासित संन्यासी सैनिकों की कल्पना की है जो अनुभवी ब्रिटिश सैनिकों से संघर्ष करते हैं और उन्हें पराजित करते हैं। उपन्यास को बाद में 1952 में हेमेन गुप्ता द्वारा निर्देशित फिल्म आनंदमठ में रूपांतरित किया गया। यह उपन्यास आजादी के आंदोलन का प्रेरणास्रोत भी बना। आनंदमठ को इसकी साहित्यिक उपलब्धि से ज्यादा राजनीतिक सफलता के लिए याद किया जाता है। बंकिमचंद्र चटर्जी का यह उपन्यास बंगाल की अपने समय की पृष्ठभूमि को हमारे सामने जीवंत प्रस्तुत करने में सार्थक सिद्ध हुआ।
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