कल्पनाओं की उड़ान भरते हुए बड़ी-बड़ी बातों को बड़े ही चुटीले अंदाज में कहने वाले कवि और लेखक अविनाश झा मूलत: पद्य लिखते हैं। यह उनका पहला काव्य संग्रह है जो विषय विस्तार की दृष्टि से गागर में सागर समेटे है। छंदहीन काव्य में लय और तारतम्यता आवश्यक है अन्यथा पाठक भटकने लगता है। वस्तुत: कविता वह कहानी है जिसमें कोई पात्र नहीं होता पर सभी उसमें अपने आपको तलाशने लगते हैं। कविता के रस में सराबोर पाठक लय के साथ बहता चला जाता है। कवि के साथ पाठक दार्शनिक सीमाओं को लाँघते हुए अनंत व्योम की ओर प्रस्थान कर जाता है। उतरप्रदेश सरकार के खाद्य तथा रसद विभाग में जिला खाद्य विपणन अधिकारी के पद पर कार्यरत डॉ. अविनाश झा अपनी लेखनी के माध्यम से खुद को तलाशने का प्रयास करते हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े होने के कारण गाँव इन्हें हमेशा अपने पास बुलाया करता है। सामाजिक तानाबाना और आपसी संबंधों का पैनी दृष्टि से विश्लेषण करने की जिजीविषा ने ही इन्हें लेखक और कवि बनाया है। इनकी कहानियाँ और कविताएँ निरंतर ऑनलाइन पत्र-पत्रिकाओं मे प्रकाशित होती रहती हैं।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.