यह कहानी एक छोटे से गांव से निकलकर शहर में आने वाले एक बुजुर्ग पर आधारित है जिसने अनेकों सामाजिक बुराइयों का विरोध करके अपनी जीवन यात्रा को प्रवाहित रखा| जिस कारण उसे अपने संपूर्ण जीवन काल में भटकना पड़ा और आखिर में वह टूट गया| यह कहानी न तो आदर्शवादी है और नहीं रुढ़ीवादी| इसका जोर सच्चाई के ज्यादा करीब नजर आता है|
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