Anchahe Antraal

About The Book

अनचाहे अंतराल उपन्यास लिव–इन रिलेशन में रहकर यू.पी.एस.सी. की तैयारी करने वाले एक जोड़े की प्रेम कहानी है। दया नारायण अग्निहोत्री और कात्यायनी मुखर्जी उपन्यास के केंद्रीय पात्र हैं। उनके संघर्षों को उपन्यासकार ने शब्द दिए हैं। यह उपन्यास सरकारी नौकरी के लिए जद्दोजहद करते युवाओं के संघर्ष की महागाथा है। उपन्यास में भावना बनाम बुद्धि और प्राप्त बनाम अप्राप्त के बीच द्वंद्व दिखाया गया है। आधुनिक जीवन में बढ़ रहे भौतिकतावाद और दिखावे के कारण लोग किस तरह अपनी मूल भावनाओं से कटते जा रहे हैं यह दर्शाने का प्रयास किया गया है। उपन्यास में स्त्री-पुरुष के बीच दरकते रिश्ते टूटते परिवार आदि की समस्या को भी उठाया गया है। उपन्यास का उद्देश्य यह दिखाना है कि हर व्यक्ति आधा-अधूरा है। पूर्णतः की तलाश व्यर्थ है। बहुत अधिक अच्छे की चाह में कई बार वे चीजें भी हाथ से फिसल जाती हैं जो हमारे पास होती हैं। भौतिकतावाद की अंध दौड़ में व्यक्ति एक समय अकेला हो जाता है तब उसे अपने रिश्तों की याद आती है। तब तक चीजें काफ़ी बिगड़ जाती हैं। उपन्यास लेखन में रोचकता प्रारंभ से अंत तक बनाई रखी गई है ताकि युवा पाठक उपन्यास का आनंद ले सकें। उपन्यास की साहित्यकता बनाए रखते हुए इसे सहज और सरल हिन्दी में लिखा गया है ताकि उन युवाओं को भी हिन्दी की पुस्तकों से जोड़ा जा सके जो आजकल सोशल मीडिया की रील्स की दुनिया में व्यस्त हैं। युवाओं के लिए प्रेणक प्रसंग तथा स्वस्थ मनोरंजन भी है।
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