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About The Book
Description
Author
किसी भी कविता में कंटेण्ट महत्त्वपूर्ण होता है लेकिन कोई भी कविता केवल बेहतर कंटेण्ट से अच्छी और बड़ी कविता नहीं हो जाती। कंटेण्ट तो गद्य में भी होता है और कविता निरा गद्य नहीं होती। सूक्ष्मता सौन्दर्य शिल्प और संरचना के बिना कोई कविता नहीं हो सकती। उसमें कुछ नया होना चाहिए जो अब तक न कहा गया हो या कहने का ढंग अभूतपूर्व होना चाहिए। इतिवृत्त कथा या साधारण वर्णन की जगह कविता कुछ इस तरह आगे बढ़ती है जिसकी प्रत्याशा नहीं होती। यह अप्रत्याशितता पाठक को चौंकाती भी है और आनन्दित भी करती है। कविता की दुनिया में राजेश जोशी की जिस कविता की सर्वाधिक मांग होती है और जो बार-बार सुनने के बाद भी बार-बार सुने जाने की अन्तःप्रेरणा के साथ उपस्थित होती है वह है मारे जायेंगे। जोशी जी स्वयं स्वीकारते हैं कि मनुष्यता के एक बड़े सच को व्यक्त करने के लिए कविता को अपने समय के कठिन ब्योरों में जाने और उनका अतिक्रमण करने की जरूरत है। यही बात है जो किसी भी कविता को अपने समय से मुक्त कर कालजयी बनाती है।मारे जायेंगे आठवें दशक में जब लिखी गयी तब जैसा समय था जैसा तनाव था जैसी निराशा थी जैसा असमंजस था खीझ थी जिस तरह मनुष्य के सपनों विश्वासों को आहत किया जा रहा था धर्म के नाम पर जो पाखण्ड और असहिष्णुता फैली हुई थी सत्ताएँ जिस छल और अहमन्यता में डूबी हुई थीं वह असाधारण था लेकिन परिस्थिति और परिवेश की यह असाधारणता बार-बार लौट कर आती है कई बार और भी उग्र और खतरनाक रूप में। जैसा वर्तमान समय में दिख रहा है। नफ़रत हत्या असहिष्णुता जड़ता और अतीत-मोह का जो घटाटोप आज है वैसा शायद ही कभी आदिम समय में भी रहा हो। ऐसा समय जब भी आयेगा मारे जायेंगे की प्रासंगिकता और बढ़ जायेगी।