अंधेरों में जो जल उठा सलीम मंसूरी की एक गहरी व्यक्तिगत यात्रा है जो पाठकों को दिखाती है कि कैसे जीवन की सबसे भयावह परिस्थितियों से भी उबरा जा सकता है। यह पुस्तक केवल एक आत्मकथा नहीं है बल्कि मानसिक शक्ति और अवचेतन मन की असीम संभावनाओं पर आधारित एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है। 2002 की गुलबर्ग सोसाइटी त्रासदी में 19 परिवारजनों को खोने के बाद लेखक गहरे अवसाद और निराशा के अंधकार में डूब गया था। इस पुस्तक में वे बताते हैं कि कैसे माइंड ट्रेनिंग विजुअलाइज़ेशन और अवचेतन मन की शक्ति के सहारे उन्होंने न केवल अपना जीवन पुनर्निर्मित किया बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने। पुस्तक आठ अध्यायों में विभाजित है जो व्यक्तिगत संघर्ष से शुरू होकर आत्म-विकास मन की शक्ति की खोज और अंततः सफलता तक की पूरी यात्रा को कवर करती है। प्रत्येक अध्याय में व्यावहारिक तकनीकें मानसिक अभ्यास और जीवन सुधार के सूत्र दिए गए हैं। यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं अवसाद और चिंता से ग्रसित हैं या अपनी भीतरी शक्ति को पहचानना चाहते हैं। लेखक का मुख्य संदेश यह है कि जो अंधेरों में जल उठता है वह दूसरों के लिए भी रोशनी बन जाता है।
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