‘अनजाने ओशो’ नामक यह कृति ओशो-भगवान श्री रजनीश-के बहुआयामी व्यक्तित्व के कई अज्ञात पहलुओं का उद्घाटन के कई अज्ञात पहलुओं का उद्घाटन करती है। इसके लेखक स्वामी अगेह भारती आज से कोई पच्चीस वर्ष पूर्ण जनवरी 1971 में ओशों के हाथों संन्यस्त हुए और फिर क्रमश ओशोमय होते चले गये। ओशो का नाम उनका अलौकिक जीवन-चरित्र जहाज है और स्वामी अगेह भारती उस जहाज के पक्षी हैं। उनका सम्पूर्ण अध्ययन मनन और चिन्तन ओशो पर ही केंदित होता है और उसी विराट व्यक्तित्व में आश्रय ग्रहण करता है।
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