ज्योतिष क्या है ?? यह सवाल हमेशा पूछा जाता है . बहुत से लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि यह पाखंड है .उनके ऐसा कहने के पीछे उनका दोष नहीं है .आज समाज में ज्योतिष को लेकर बनाये गए आडंबर छल भ्रम और उपाय की वजह से कोई भी ऐसी धारणा बना सकता है .दूसरा कि उन्हें कोई साक्ष्य नहीं मिलता है जिससे कि वे इस सत्य को जान सकें मान सकें .WhatsApp और अलग अलग सोशल मिडिया से जो भ्रामक ख़बरें उनतक पहुँचती हैं वे आग में घी का काम करते हैं .उनका भ्रम और बढ़ता जाता है . बगैर तथ्यों कि जानकारी के लोग किसी भी खबर को शेयर कर देते हैं जो कि और भी खतरनाक है .आइये देखें मुंडकोपनिषद क्या कहता है ज्योतिष के बारे में ..शौनक ऋषि द्वारा परमतत्व के बारे में जानने की जब इच्छा जाहिर की गयी तब महर्षि अंगिरा बोले -शौनक ! ब्रह्म को जानने वाले महर्षियों का कहना है कि मनुष्य के लिए जानने योग्य दो विद्याएँ हैं -1– अपरा (( लोक कि चर्चा भोग उपभोग विषयक बातो कि जानकारी लोकव्यवहार कि जानकारी और उसकी फल सिद्धि ) यह दस प्रकार का है .चार वेद शिक्षा कल्प व्याकरण निरुक्त छंद और ज्योतिष कुल दस .ज्ञानराशि वेद पुरुष के नेत्र के रूप में प्रतिष्ठित है ज्योतिष . 2- परा ( परब्रम्ह परमात्मा का तत्त्व ज्ञान होता है वह पराविद्या है ).ऊपर बताये गए दोनों प्रकारों में इस लोक तथा परलोक सम्बन्धी भोगों तथा उनकी प्राप्ति के साधनों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है .ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद शिक्षा कल्प व्याकरण निरुक्त छंद और ज्योतिष ये दस अपरा विधा है .वेदों में यज्ञ और उसके फल का विस्तृत वर्णन है .वेदों का पाठ उनका सही उच्चारण कैसे किया जाए यह शिक्षा है जिसमे यज्ञ करने की विधि बतलाई गयी है वह कल्प है .वैदिक शब्दों के अनुशासन के प्रकृति प्रत्यय तथा शब्दों के कैसे प्रयोग किया जाये क्या नियम हो इन सभी की चर्चा व्याकरण के अंतर्गत की जाती है .कौन सा शब्द किसका वाचक है इस बात की कारण सहित व्याख्या निरुक्त के अंतर्गत की जाती है . वैदिक शब्दों की जाती और भेद बताने वाली विधा “छंद” कहलाती है . ग्रह नक्षत्रों की विस्तृत चर्चा और इनके साथ हमारा क्या सम्बन्ध है इसका विचार ज्योतिष में किया गया है . ये सभी एक क्रम में हैं .अर्थात वेद से शुरू होकर शिक्षा कल्पव्याकरण निरुक्त छंद और ज्योतिष .ये सभी मिलकर एक सीढी का निर्माण करते हैं जिसपर एक एक कदम बढाकर हम परमात्मा के पास जा सकते हैं .उनसे मिल सकते हैं . इतनी समृद्ध है ज्योतिष .यह भविष्य कथन नहीं है बल्कि लोक और परलोक आत्मा और परमात्मा परा और अपरा के बीच का सेतु है . भौतिकता और आध्यात्मिकता कि समझ है ज्योतिष .परिवर्तन से रूपांतरण है ज्योतिष .
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