एक शायर ने लिखा है - “इश्क में वहदत का मजा मिलता है - इश्क सच्चा हो तो बंदे को खुदा मिलता है”। मानव जीवन का एक ऐसा अनमोल खजाना जिस खजाने से अंजान रहकर अधिकांश मनुष्य इस संसार से विदा हो जाता है। हाथ में आया रतन लेकिन कदर जानी नहीं फिर क्या लाभ उस रतन धन का जब हम उसका लाभ नहीं उठा पाये। वह अनमोल खजाना कहाँ और किस रूप में है लेखक के द्वारा इस रहस्य पर से पर्दा उठा दिया गया है प्रस्तुत पुस्तक “अनमोल खजाना” में। कहा है - मंजिल पर आकर मंजिल को ढूँढ़ते हैं - ए कैसी बदनसीबी है कि खुद को ढूँढ़ते हैं” पूरी पुस्तक में लेखक के द्वारा यही कोशिश की गई है कि आपके जीवन का अनमोल खजाना बड़ी आसानी से आपको मिल जाये। अगर एक भी पाठक को जीवन का अनमोल खजाना मिल गया तो लेखक अपनी मेहनत को सार्थक समझेगा।
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