हमारे चारों ओर लोग अपने फ़ोन को ज़रूरत से ज़्यादा देख रहे हैं ज़रूरत से ज़्यादा खा रहे हैं ज़रूरत से ज़्यादा पी रहे हैं। हम क्षणिक और भटकाने वाले सुखों की लत में फँस गए हैं जो हमें कहीं नहीं पहुँचाते। डॉ. एना लेंबकी हमें संतुलित जीवन की ओर लौटने का एक स्पष्ट मार्ग दिखाती हैं। यह पुस्तक आनंद और वेदना के बारे में है : कैसे दोनों के बीच एक नाजुक संतुलन बनाया जाए और क्यों यह संतुलन पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है। हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ हमारी पहुँच उच्च परिणाम और डोपामाइन बढ़ाने वाली उत्तेजनाओं तक सहज है - नशा भोजन समाचार जुआ ख़रीदारी गेमिंग मैसेजिंग सेक्सिंटंग ट्वीटिंग । स्मार्टफ़ोन आज के दौर की ऐसी सुई है जो चौबीसों घंटे डिजिटल डोपामाइन हमारी नसों में भर रही है। हम सब किसी न किसी रूप में बाध्यकारी अति उपभोग के प्रति संवेदनशील बन चुके हैं। डोपामाइन नेशन में मनोचिकित्सक डॉ. एना लेंबकी नई और रोमांचक वैज्ञानिक खोजों का पता लगाती हैं जो बताती हैं कि लगातार सुख की तलाश अंततः पीड़ा क्यों देती है और हमें इसके बारे में क्या करना चाहिए । जटिल न्यूरोसाइंस को सरल रूपकों में बदलकर लेंबकी समझाती हैं कि सच्चा संतोष और जुड़ाव तभी मिलता है जब हम डोपामाइन को नियंत्रित करना सीखते हैं। उनके मरीज़ों के जीवन के अनुभव इस पुस्तक का दिलचस्प ताना-बाना हैं । उनके संघर्ष और परिवर्तन की प्रभावशाली कहानियाँ हमें यह आशा देती हैं कि हम भी अपने उपभोग पर नियंत्रण पा सकते हैं और अपनी ज़िंदगी बदल सकते हैं। मूल रूप से डोपामाइन नेशन यह दिखाती है कि संतुलन पाने का रहस्य इच्छा के विज्ञान को उपचार की समझ के साथ जोड़ना है।
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