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About The Book
Description
Author
उपन्यास की भावभूमि बाबू और सईदा की एक मासूम सी प्रेम कथा है जो अन्तःसलिला की तरह पूरी पुस्तक की पृष्ठभूमि में बहती रहती है. प्रकट में निम्न मध्यम ग्रामीण परिवेश के सामान्य और असामान्य पड़ाव हैं धन-बल के ज़ोर पर मजबूर स्त्रियों का शोषण करता एक ठेकेदार है पुत्र की चाह में बहु-विवाह की कठिन परिस्थितियां हैं अपनी मासूम बच्ची के साथ बर्बरता से घर से निकाल दी गयी एक युवती है और पग-पग पर लोलुप नाखूनों से युक्त चीर देने वाले हाथ हैं. जातिवाद की दलदल में आकंठ डूबी पितृसत्तात्मक सत्ता के हंसी उड़ाते चेहरे हर मोड़ पर अपना जाल बिछाए बैठे हैं और संपत्ति से येन केन प्रकारेण बेदख़ल करने को आतुर सगे संबंधी हैं जो ज़मीन और खेत हासिल करने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं. कथा के कुछ खास मोड़ों पर स्त्री विमर्श भी अपने अनोखे अंदाज में उपस्थित है।