कविताएँ कवि की भावनाओं का, उसके अन्तर्मन की सोच का , उसकी लेखनी द्वारा शब्दों में पिरोया हुआ प्रस्तुतीकरण है। हमारी अधिकांश रचनाएँ समाज के प्रति एक सन्देश हैं, प्रचलित बेढंगी मान्यताओं के प्रति विद्रोह हैं, संघर्ष हैं। सारी रचनाएँ कहीं न कहीं मौजूदा मान्यताओं के प्रति प्रतिक्रिया स्वरूप वैचारिक संघर्ष की पृष्ठभूमि लेकर सृजित हैं। मैं आशा करता हूँ की अन्तर्निहित सन्देश समाजोपयोगी सिद्ध होंगे। यत्र-तत्र कुछ रचनाओं पर साथियों की प्रतिक्रिया देखकर, अनायास ही कवि को कहना पड़ा है : सीधा सरल सहज लहजा है, कभी कहीं लिख लेते हैं। खाली देखा कहीं- कहीं तो, रंग सुनहरे भर देते हैं। दरबारी कवि तो रहा नहीं, जो गुणगान करूँ सब का। जैसा देखा, समझा मैंने, वैसा ही हम कह देते हैं। यह अकाट्य सत्य है कि किसी भी रचनाकार का काव्य-सृजन उसके भावुक संवेदनशील दिलोदिमाग से प्रवाहित वह अविरल काव्य-प्रवाह है जो रचयिता कवि द्वारा कविता के रूप में पाठकों को रसास्वादन के लिए परोसा जाता है। कवि द्वारा किया गया सृजन कालजयी होता है। समाज को संदेश एवं दिशा प्रदान करता है। उद्धृत हैं हमारी कुछ पंक्तियाँ:- कविता एक, वाद है। खुला हुआ सम्वाद है। दो-दो हाथ कर है लेती, प्रतिद्वंदी से, प्रतिवाद है। यह व्यष्टि है, समष्टि है,