मैं पुस्तक के रूप में दूसरी बार आपके समक्ष हूँ... आभार.. साहित्य पीडिया का..मेरी अनुभूतियों से गुज़री हुई कविताओं का संकलन है..अंतर्मन का कोपभवन.. जीवन की विषमताओं और विडंबनाओ से उपजे हुए रोष को भी एक अंतर्मन का कोपभवन चाहिए..जहाँ जाकर वह अपनी बात मनवा सके.. मेरी ये कविताएं इस अंतर्मन के कोप भवन का हीं प्रतिनिधित्व करती हैं.. मैं फिर से आपके प्रेम और सहयोग की आकांक्षी हूंँ.... धन्यवाद.
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