Antas Ke Swar.... (Ankaha Dard)

About The Book

मन के अंदर-बाहर अनंत दरवाजे हैं जो समय-समय पर सहज रूप से खुलते और बंद होते रहते हैं. इस खुलने और बंद होने के क्रम में कई भाव उत्पन्न होते हैं. यदि मौके पर उन सभी भावों को सहेज लिया जाय तो वह एक ग्रन्थ का रूप ले सकता है. इस काव्य संग्रह में ऐसे ही कुछ भावों को सहेजा गया है. समय की धारा के साथ बहने और जीवन की पगडंडियों पर चलते हुए बहुत कुछ देखने सुनने समझने और अनुभव करने का अवसर प्राप्त होता है. इन्हीं अवसरों के बीच कुछ सच कुछ सही कुछ गलत और कुछ सुख-दुख भरी अनुभूतियाँ भी प्राप्त होत्ती है जिससे गीत और काव्यों का प्रस्फुटन होता है. मेरे लिए यह प्रस्फुटन जिन्दगी की उपलब्धि और अनुगूँज है. यह संग्रह इसी उपलब्धि और अनुगूँज का एक हिस्सा है.
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