Antim Samay Ka Sach (Hindi)
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अंतिम समय का सच ''मृत्यु'' नहीं है परन्तु मानव समाज आज भी अंतिम समय को आने वाले मृत्यु के क्षणों से जोड़ता है। ''मृत्यु'' सत्य है। जीवन की डोर कभी भी टूट सकती है मानव की साँसें कभी भी रुक सकती हैं। मृत्यु अटल है लेकिन अंतिम नहीं है। कुछ लोग मृत्यु के उपरान्त भी लोगों के दिलों में जीवित रहते हैं। मानव समाज उनका अनुसरण करता है। वे सदियों तक इतिहास के पन्नों में जीवित रहते हैं तथा इतिहासकार लेखक आदि उनकी गाथाओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्मरण कराते रहते हैं। मानव जीवन में अकेलापन अभिशाप है जो किसी सर्पदंश से कम नहीं। अकेलेपन में व्यक्ति अंतिम समय को पाने के लिए तरसता है। एक उम्र में अकेलापन स्वर्णिम अवसर-सा प्रतीत होता है। वहीं मानव जब जीवन के उन क्षणों में पहुँच जाता है जिसे अंतिम क्षण कहा जाता है उस समय के कष्टों को वेदना को वह किसी से कह नहीं पाता। अकेलापन किसी बीमारी से कम नहीं होता। कुछ लोग अकेलेपन का शिकार हैं लेकिन उनमें से कुछ समझदार लोग अकेलेपन को एकांत में परिवर्तित कर लेते है परन्तु सभी ऐसा कर सकें यह संभव नहीं है। इस पुस्तक में अकेलेपन को दूर करने के उपायों पर विचार किया गया है और प्रयोग किया गया है कि क्या इस तरह से भी अकेलेपन को दूर किया जा सकता है।
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