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About The Book
Description
Author
अन्तराल स्त्री-पुरुष संबंधों का मनोवैज्ञानिक धरातल पर ऐसा जायजा है जिसकी आंतरिकता में डूबने के बाद उभरने की चेष्टा ही अनेक प्रश्न खड़े कर देती है। इस उपन्यास की प्रमुख पात्रा श्यामा सचमुच दो हिस्सो में विभक्त है। एक तो वह जहां शारीरिक आकांक्षाओं की अनिवार्य लपेट है तो दूसरी तरफ उसके भीतर ही ऐसी रिक्तता जो उसे इस आकांक्षा से परे धकेलती है। About the Author मोहन राकेश नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे। पंजाब विश्वविद्यालय से आपने हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम. ए. किया और फिर जीविकोपार्जन के लिए अध्यापन से जुड़े। कुछ सालों तक आपने सारिका के संपादक रहे। आषाढ़ का एक दिनआधे अधूरे और लहरों के राजहंस आपकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं।