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About The Book
Description
Author
विश्व में जितनी भी मानव सभ्यताएं हैं वे किसी-न-किसी रूप में यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, तावीज़, तिलस्म व टोटकों में अपने-अपने ढंग से आस्था एवं विश्वास रखती हैं। बीमारी, प्राकृतिक प्रकोप, बुरी आत्मा या किसी के द्वारा किये गये जादू, टोने-टोटके को दूर करने के लिए। अक्सर लोग तावीज़ ( यन्त्र ) या तो गले में पहनते हैं या फिर भुजा में धारण करते हैं।। जन्त्र ‘यन्त्र' का ही अपभ्रंश स्वरूप है। पंजाबी बोलचाल की भाषा में मन्त्र को 'मन्तर' एवं जन्त्र को 'जन्तर' कहते हैं। इसी यन्त्र को उर्दू या मुस्लिम बोल-चाल की भाषा में 'तावीज़' कहते हैं। यन्त्र मन्त्ररूप है, मन्त्र देवताओं का ही विग्रह है। जिस प्रकार शरीर और आत्मा में कोई भेद नहीं होता है, उसी प्रकार यन्त्र और देवता में भी कोई भेद नहीं होता है।। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. भोजराज द्विवेदी कालजयी समय के अनमोल हस्ताक्षर हैं। इन्टरनेशनल वास्तु एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. भोजराज द्विवेदी की। यशस्वी लेखनी से रचित ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंक विद्या, आकृति विज्ञान, यंत्र-मंत्र-तंत्र विज्ञान, कर्म कांड व पौरोहित्य पर लगभग 400 से अधिक पुस्तकें देश-विदेश की अनेक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। फलित ज्योतिष के क्षेत्र में इनकी 3,000 से अधिक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की भविष्यवाणियां पूर्व प्रकाशित होकर समय चक्र के साथ-साथ चलकर सत्य प्रमाणित हो चुकी हैं।।