वैसे तो हर कोई भी जन्म लेता है जीवन के कई प्रतिकूल एवम अनुकूल समय से जूझता है आनंद लेता है लंबी या छोटी याद संजोता है या भूल जाता है एवम आगे बढ़ जाता है। यही जीवन होता है। कुछ अनुभूतियां ताउम्र मस्तिष्क में छप जाती हैं। घर परिवार एवम मित्रों-मार्गदर्शक महापुरुषों की संगत दिशानिर्देश करती है जीवन अनवरत बढ़ता जाता है। आभार…जय श्री महाकाल पुजारी कौशलजी-जगदीशजी स्वामीजी केकड़ी एवम नाहरसिंह माता पितरगण (सेवक भाभा व राजू बा.) के चरणों में अर्पण। नमन...आभारी उन सभी का ख़ास कर कैप्टन गोपाल सिंह पंवार (बिजोलिया) परिवार वि. कमांडर मलिक एवम गुजराल सर का अग्रज श्री सुभाष पालीवाल श्री शंकर लाल ओझा जिन्होंने जीवन के कठिन मोड़ों पर हर तरह से दिशा एवम हौसला दिया।मेरी अर्धांगिनी आरती परिवारजन अभिन्न मित्र सत्तू-मुन्ना सुधीर सहित सभी मित्रगण एवम मेरे अनुकर्ता साथी।आदरणीय पं. सत्य नारायणजी-रामेश्वरजी पांडे श्री पूरण सिंह जी श्री बालकृष्ण पुरोहित।अन्य कई गणमान्य जन संपादक स्व. श्री राजेन्द्र अवस्थीजी मार्गदर्शक आदरणीय डॉ. योगेश व्यास एवम पं. नरेंद्र मिश्र आदि...।उन अनुभूतियों को ही कलम से उकेरने का एक छोटा-सा प्रयत्न है यह रचना एक किताब की शक्ल में। किसी भी प्रकार की भूल-चूक के लिए सदा क्षमा प्रार्थी रहूंगा। ना जाने कौन-किस के लिए उपयोगी सिद्ध हो जाये! आशा है आप पसंद करेंगे। धन्यवाद..
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