*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹175
₹195
10% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
बहरूपिया लघुकथा में उस बहुरूपिया की कहानी है जो वेश बदल-बदल कर अपनी रोजी-रोटी चलाया करता है लेकिन एक बार जब नेता के वेश में सामने आता है तो लोग चकित रह जाते हैं कि आज यह नेता बन कर आया है। बाद में पता चलता है कि वह अब बहुरूपिया नहीं सचमुच नेता बन गया है। एक पार्टी ने उसे टिकट दे दिया है और वह चुनाव लड़ने जनसम्पर्क पर निकला है। कबाड़ रचना मध्यमवर्गीय समाज की संग्रह की प्रवृत्ति पर प्रहार करती है। पुराने जूते-चप्पल भी बहुत से लोग जोड़कर घर में रखे रहते हैं। मगर दादाजी उन जूते-चप्पलों को गरीबों में बांट देते हैं। यह देखकर घर की नन्हीं बच्ची भी अपनी नयी चप्पल गरीब बच्चों को दान में दे देती है। यह पुस्तक ऐसी ही अनेक दिलचस्प और मर्मस्पर्शी लघुकथाओं से सज्जित है।