hindi poetry book by ARCHANA BHARDWAJ with publication support by Hindi Academy Delhi हर जगह एक आशावादिता का दृष्टिकोण दिखाई पड़ता है। और यही है वो ‘अपराजित मन’ का दृढ़ निश्चय जो इन रचनाओं में झलकता है और कहीं न कहीं बार-बार उभरकर ऊपर आता है. जैसे ये पंक्तियां देखिए :- जीवन लहरों की भांति है जैसा भी है स्वीकार करो आती-जाती लहरों से तुम जी भरकर बस प्यार करो एक और बेहतरीन भाव देखिए :- गिला नहीं बस एक इंतज़ार है शिक़वे तो हमें भी बेशुमार हैं नफ़रत करो तो ज़रूर करना ये भी तो प्यार का इज़हार है या ऐसा ही एक और भाव देखिये :- सुख न रहा अपना बनके दुख भी दो दिन मेहमां है ये भी चला जाएगा प्रिय ! तू आशा से मत डोल ज़रा
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