Apki Khidmat me (Muktak Sangrah)

About The Book

मुक्तक के लिए जिस तरह की भाषा और कल्पना का सुसमाहार चाहिए रामनिहोर जी उसमें पूर्णत: निष्णात हैं। उनके पास जितना गहरा और दीर्घ जीवनानुभव है उसे अभिव्यक्त करने के लिए उतनी ही सधी और लोक की बोली-बानी में पगी चुटीली भाषा तथा छंद सामर्थ्य है। यही वजह है कि वे बड़ी बातों को भी बड़ी सहजता से कह जाते हैं। उनके मुक्तक जीवनानुभव की आँच में सिंके-सिझे मुक्तक हैं। वे जीवन की वास्तविकता से मुँह नहीं चुराते उसके सामने खड़े होते हैं और उसकी हकीकत को अपने काव्य चातुर्य से सहजता पूर्वक मुक्तक में ढालकर श्रोता और पाठक के सामने रखकर उसे विस्मित कर देते हैं। उनमें अपनी बात कहने और उसे श्रोता व पाठक तक पहुँचाने की अद्भुत क्षमता है। उनके मुक्तक सम्प्रेषणीयता में भी और रस आस्वादन में भी समान रूप से समर्थ और परिपूर्ण हैं। ऐसे कठिन समय में जब विघटनकारी शक्तियाँ समाज को जाति धर्म भाषा और क्षेत्र की जकड़बन्दी में कस कर नफरत और घृणा का प्रसार करने अपने ही राष्ट्रबन्धुओं को आपस में लड़ाकर अपना उल्लू सीधा करने की एड़ी-चोटी एक किये हुये हंै। जब साहित्य पत्रकारिता प्रशासन और अदालतों में भी खेमेबंदी और मेरे-तेरे का बोलबाला बढ़ रहा है। जब हर संवैधानिक संस्था और उसके कर्ता-धर्ता सत्ता के सामने सौ-पसार हो रहे हैं तब हिम्मत के साथ साहित्य भाषा सौंदर्य प्रेम संवेदना सत्य और न्याय की पैरवी व पक्षधरता के साथ खड़ा विसंगतियों और विद्रूपताओं से दो-दो हाथ करता यह संग्रह साहस और सम्बल देता है। -संतोष कुमार द्विवेदी
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE