समाज में शिक्षित महिलाओं की अब कमी नहीं है पर क्या शिक्षा ही सब समस्याओं का हल है? एक चलन अकसर सुनने में आता है कि निम्न आर्थिक स्तर की अनपढ़ औरत तथा उच्च वर्ग की स्त्री अपने लिए आवाज उठा लेती है परन्तु मध्यमवर्गीय शिक्षित महिलाओं द्वारा अपने आप को तलाशने में शिक्षा कोई खास भूमिका नहीं निभा पाती।बात किताबी ज्ञान डिग्री नौकरी से बहुत दूर की है बात है उस मानसिक ढांचे की जो मन में गहरे पैठ बनाये हुए है। ये स्त्री समझ ही नहीं पाती कि वो त्याग करे अपने लिए लड़े पैसे की बात खुलकर करे अपने घर में अपने अस्तित्व को स्वीकारे जाने की परम्परा डाले या नींव का पत्थर बनकर परिवार को बनाने में अपना सारा जीवन खपा दे।बहादुरी और आत्मसम्मान हर जीव का अधिकार है जिसे पाने के लिए उच्च शिक्षित के मानसिक संघर्ष को बताती ये कहानी विशेष रूप से महिला पाठक के मर्म को छू जाती है। हम इंसान हैं और नज़रबंद होना एक सजा है ना कि जीवनशैली। अपने बीज को अंकुरित करने और पालना हमारा कर्तव्य और अधिकार दोनों है।पुरुष या स्त्री किसी के लिए भी कदम उठाना आसान नहीं होता सम्पूर्ण आत्ममंथन और मानसिक ट्रॉमा से निकलते हुए अपने आप को खोज लेना ही जीवन की परम उपलब्धि है। इस उपलब्धि के बाद जो निर्णायक व्यक्तित्व बनता है वही जीवन के बीज का अंकुरण है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.