गणित एवं फलित ज्योतिषशास्त्र के दोनों ही पक्षों में 'लग्न' का बड़ा महत्त्व है। इसी पर फलित ज्योतिष का सारा भवन, विशाल वटवृक्ष खड़ा है। ज्योतिष में गणित की समस्या तो कम्प्युटर ने समाप्त कर दी परंतु फलादेश की विकटता ज्यों की त्यों मौजुद है। बिना सही फलादेश के ज्यातिष की स्थिति गंध रहित पुष्प के समान है। कई बार विद्वान व्यक्ति, व्यावसायिक पंडित जन्मकुण्डली पर शास्त्रीय फलादेश करने से घबराते हैं, कतराते हैं। अतः इस कमी को दूर करने के लिए प्रस्तुत पुस्तक का लेखन प्रत्येक लग्न के हिसाब से अलग-अलग पुस्तकें लिखकर किया जा रहा है। ताकि फलित ज्योतिष क्षेत्र में एक नया मार्ग प्रशस्त हो सके।<br>अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. भोजराज द्विवेदी कालजयी समय के अनमोल हस्ताक्षर हैं। इन्टरनेशनल वास्तु एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. भोजराज द्विवेदी की यशस्वी लेखनी से रचित ज्योषि, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंक विद्या, आकृति विज्ञान, यंत्र-मंत्र-तंत्र विज्ञान, कर्म कांड व पौरोहित्य पर लगभग 258 से अधिक पुस्तकें देश-विदेश की अनेक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। फलित ज्योतिष के क्षेत्र में इनकी 3,000 से अधिक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्त की भविष्यवाणियां पूर्व प्रकाशित होकर समय चक्र के साथ-साथ चलकर सत्य प्रमाणित हो चुकी हैं।
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