प्रिय मित्रों अरूणोदय तो जब तक सूर्य है पृथ्वी है होता रहेगा परन्तु मैं अपनी कविता के माध्यम से अरूणोदय पर सुप्रभात को विराम देना चाहता हूँ । नया सवेरा और अरूणोदय की कविताओं का आप सबने जो स्वागत किया वह मेरे लिए सदैव अविस्मरणीय रहेगा । आप सभी पाठकों की प्रेरणा और निरंतर उत्साहवर्धन ने मेरा मनोबल इतना बढ़ाया कि मैंने नया सवेरा की 365 कविताएँ और अरूणोदय की 151 कविताओं का इतना लम्बा सफर तय कर लिया आप सबको मैं तहेदिल से हार्दिक धन्यवाद देता हूँ आभार प्रकट करता हूँ । अरूणोदय मेरी छठवीं किताब है जो आपको सुप्रभात के नमोनमन के साथ मुझसे रूबरू करती नजर आएंगी । अरूणोदय में मैंने फिर से जीवन के विभिन्न आयामों को छुआ है आशा करता हूँ निश्चित रूप से आपके मन को भी छुएंगी अरूणोदय की ये कविताएँ । आपकी टिप्पणियों का इंतजार रहेगा । धन्यवाद । त्र्यम्बक राव साटकर अम्बर 12-12-2022
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