As a Man Thinketh in Hindi (मनुष्य जैसा सोचता है : Manushya jaisa sochta hai)
मनुष्य अपने दिल में जैसा सोचता है...
Hindi


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About The Book

मनुष्य अपने दिल में जैसा सोचता है वैसा ही होता है । यह मनुष्य के पूरे जीवन को ही सम्मिलित नहीं करती बल्कि इतनी व्यापक है कि उसके जीवन के हर पहलू, हर दशा परप अपनी छाप बनाये रखती है। मनुष्य अक्षरशः वैसा ही बन जाता है जैसा वह सोचता है, उसका चरित्र उसके तमाम विचारों की ही योगफल है।.
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