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About The Book
Description
Author
हममें से प्रत्येक नि:स्वार्थ प्रेम प्रसारित कर सकता है। हमें इसे रचने की आवश्यकता नहीं है - हम स्वयं प्रेम हैं। परंतु मानसिक ठेस दोषारोपण क्रोध आलोचना प्रतियोगिता या असुरक्षा के क्षणों में प्रेम का प्रवाह बाधित हो जाता है। ये भाव हमारी भावात्मक सहजता पर हावी हो गये हैं और हम अपने ही प्रेम को अनुभव नहीं कर पाते। इसलिए आज हम प्रेम पाने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं। यह पुस्तक हमें सही तरह से सोचने स्वयं से प्रेम करने इसे महसूस करने और दूसरों तक पहुँचाने के योग्य बनाती है। इसका प्रमुख संदेश यही है कि प्रेम कहीं बाहर नहीं हमारे भीतर बसा है। इस पुस्तक में मोह अपेक्षा भय चिंता तनाव व क्रोध आदि भावों का विश्लेषण किया गया है जिन्हें हम प्रेम के नाम पर इस्तेमाल करते हैं। जब आप किसी भी तरह के मूल्यांकन या अपेक्षा से मुक्त होते हैं लोगों के लिए उचित प्रकार से सोचने लगते हैं लोगों को उसी रूप में स्वीकार करने लगते हैं जैसे वे हैं तब आप नि:स्वार्थ भाव से प्रेम का प्रसार करने वाले हो जाते हैं। अवेकनिंग विद ब्रह्मा कुमारीज़ वर्ष 2007 से लोकप्रिय टी.वी. शो अवेकनिंग विद ब्रह्मा कुमारीज़ दुनिया भर में एक जाना-पहचाना नाम बन गया है। इसकी दो हज़ार से अधिक धारावाहिक कड़ियाँ यह संदेश देती हैं कि हमें कैसे और क्यों एक निश्चित तरी़के से सोचना और व्यवहार करना चाहिए। दर्शक उत्कंठा अवसाद बुरी लत आत्मविश्वास के अभाव तथा असुखद संबंधों से उबरने में सफल रहे और इतने विवेकशील बन गये जिसकी उन्होंने स्वयं कभी कल्पना तक नहीं की थी।.