‘असली झारखंड’ नामक यह पुस्तक झारखंडी विचारधारा के लेखकों झारखंड के चिंतकों झारखंड के आंदोलनकारियों झारखंड के बुद्धिजीवियों के लेखों का संकलन है। ये सारे लेख प्रभात खबर और इसके विशेष अंकों में पिछले 35 साल के दौरान प्रकाशित हो चुके हैं। जिन दिनों झारखंड राज्य बनाने के लिए आंदोलन चल रहा था उन दिनों आंदोलन को गति देने और लोगों तक अपनी बात पहुँचाने के लिए झारखंडी विचारधारा के लोग आंदोलनकारी प्रभात खबर में लगातार लेख लिखते थे। इससे ओपिनियन बनाने में बड़ी मदद मिलती थी। उन दिनों इस क्षेत्र में बहुत कम ऐसे अखबार थे जो झारखंड आंदोलन को खुलकर इतना सहयोग करते थे। इसलिए सबसे अधिक लेख प्रभात खबर में ही छपते थे। झारखंड क्यों चाहिए कैसा होगा हमारा झारखंड क्या-क्या होंगे मुख्य मुद्दे क्या होंगी चुनौतियाँ कैसे इससे निबटेंगे राज्य बनने के बाद कैसे झारखंड का पुनर्निर्माण होगा आदि सवालों को लेकर ये लेख लिखे गए थे। जब राज्य बन गया तो समय-समय पर इन्हीं लेखकों-चिंतकों ने अपने लेखों के जरिए यहाँ के मुद्दों को उठाया। इस बात का मूल्यांकन किया कि झारखंड सही दिशा में जा रहा है या नहीं। झारखंड कहाँ खड़ा है? इसके विकास का मॉडल क्या हो? के साथ-साथ जल जंगल जमीन और झारखंड की भाषा-संस्कृति से संबंधित लेख भी लगातार छपते रहे। खास तौर पर 15 नवंबर के अंकों में। इस पुस्तक में डॉ. रामदयाल मुंडा डॉ. बी.पी. केसरी कुमार सुरेश सिंह डॉ. अमर कुमार सिंह संजय बसु मल्लिक बी.डी. शर्मा ए.के. राय महाश्वेता देवी डॉ. गिरधारी राम गंझू रश्मि कात्यायन आदि प्रबुद्ध लोगों के लेख संकलित किए गए हैं। अधिकांश लेख दुर्लभ हैं। कई तो 30-35 साल पुराने हैं और आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। ये लेख असली झारखंड को समझने में काफी काम आएँगे। शोधार्थी और झारखंड के लिए योजना बनानेवालों के लिए भी यह पुस्तक काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगी। इस पुस्तक में छपे लेखों को पढ़ने से एक आम आदमी भी असली झारखंड को बेहतर तरीके से समझ सकता है। यही इस पुस्तक का उद्देश्य भी है।