जीवन और समय निरंतर गतिशील हैं। इस गतिशील प्रक्रिया में बदलाव और उतार चढ़ाव भी आवश्यक होते हैं जो मनुष्य को कई बार अनुकूल परिस्थितियों से सामना कराते हैं। ध्यान देने योग्य यह है कि जिस प्रकार अंधेरी रात के बाद एक स्वर्णिम भोर आती है जलते जेठ के बाद सावन की बूंदे उसी प्रकार जीवन में कठिनाइयों के बाद सफलता का फल भी चखने मिलता है आवश्यकता बस इतनी है कि कठिन परिस्थितियों में मनोबल को गिरने न दें और मन में आशा का दीपक सदैव जलने दें। यह पुस्तक इसी भावना से प्रेरित होकर युवाओं और विद्यार्थियों के साथ-साथ हर उस मानुष के लिए रचित है जो जीवन के उतार चढ़ाव से भयभीत है।
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