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About The Book
Description
Author
यदि डॉ. रामविलास शर्मा के एक वाकया का संशोधित इस्तेमाल करें तो कह सकते हैं राजेंद्र यादव सिमित अर्थ में साहित्यकार न थे! अपने लम्बे रचनात्मक जीवन में राजेंद्र यादव ने कहानी व् उपन्यास के अतिरिक्त अन्य विधाओं में भी अपनी छाप छोड़ी ! विमर्श आलोचना संस्मरण आदि के क्ष्रेत्र में उनकी मौलिकता का अनुभव किया जा सकता है ! औरों के बहाने संस्मरण और संश्लेषण की पुस्तक है ! रांगेय राघव अश्क कृष्णा सोबती कमलेश्वर मन्नू भंडारी अमरकांत पदमसिंह शर्मा कमलेश ओमप्रकाश जी पर राजेंद्र यादव के संस्मरण हैं ! प्रेमचंद व् काफ्का की आत्मीय चर्चा हैं ! चेखव का ऐसा काल्पनिक साक्षात्कार है जिसको पढ़कर चेखव के व्यक्तित्व-कृतित्व को देखने की दृष्टि बदल जाती है ! पुस्तक में एक विशेष आलेख है डार्करूम में बंद आदमी: राजेंद्र यादव ! इसे राजेंद्र यादव की पत्नी और सुप्रतिष्ठित कथाकार मन्नू भंडारी ने आलोचनात्मक आत्मीयता के साथ लिखा है ! औरों के बहाने की पृष्ठभूमि स्पष्ट करते हुए राजेंद्र यादव ने लिखा है मेरी चेतना और मानसिकता के हिस्से बनकर भी कुछ लोग बढे और उगे हैं कुछ समकालीनता की नियति से बंधे हैं और कुछ को देशकाल की सरहदों से खींचकर मैंने अपने बोध का हिस्सा बनाया है ! वे भी मेरे अपने होने के साथ ही हैं ! इन सबको देखना मुझे आत्मसाक्षात्कार का ही एक आयाम लगता है ! संस्मरण विश्लेषण और संश्लेषण की एक अनूठी पुस्तक|