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About The Book
Description
Author
श्री परमहंस योगानंदजी भारत के उन प्राचीन ऋषियों एवं संतों के आदर्श प्रतिनिधि रहे हैं जो भारत का वैभव हैं। इस संसार में योगानंदजी की उपस्थिति अंधकार के बीच चमकने वाले प्रकाश-पुंज की तरह थी। परमहंस योगानंद एक आध्यात्मिक प्रकाशस्तंभ जिनकी जीवनी दैवीय कृपा और आत्म-प्राप्ति की धुनों से गूँजती है। इस आत्मकथा में हम योगानंद के जीवन की गहराइयों में उतरते हैं भारत की प्राचीन आध्यात्मिक भूमि से लेकर अमेरिका के जीवंत तटों तक उनके कदमों का पता लगाते हैं जहाँ उन्होंने कालातीत ज्ञान के बीज बोए थे। उनकी कहानी मात्र एक ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं है बल्कि हर इनसान के भीतर निहित असीम संभावनाओं की गहन खोज है। अपनी शिक्षाओं के माध्यम से योगानंद ने दुनिया भर में साधकों के आध्यात्मिक उत्साह को प्रज्वलित किया आत्म-खोज और ईश्वर के साथ संवाद का मार्ग आलोकित किया। इस आत्मकथा में योगानंद के असाधारण जीवन के सार को समाहित करने उनके आध्यात्मिक विकास उनके परिवर्तनकारी अनुभवों और उनकी अमूल्य शिक्षाओं के धागों को एक साथ बुना गया है। यह आत्मकथा प्रेरणा की किरण के रूप में काम करे जो आपको शांति ज्ञान और दिव्य प्रेम के आंतरिक क्षेत्रों की ओर मार्गदर्शन करे जिसे योगानंद ने दुनिया के साथ साझा करने के लिए बड़ी उत्सुकता से उद्घाटित किया है।