अवनिका यानि धरती। धरती जो हमारे जीवन का सजीव स्रोत है। जो हमें जीवन के सभी आवश्यक तत्व उपलब्ध कराती है। हम जीवों की सभी आवश्यकताएँ जैसे जल खाद्य वनस्पतियाँ आदि धरती से ही पूरी होती हैं। धरती पर मौजूद संसाधनों का उपयोग करके ही हम अपना जीवन यापन करते हैं। धरती पर ही निरंतर हमारा आवागमन चक्र चलता है। उस धरती को उसके अवयवों को स्वस्थ सुरक्षित रखना हमारा परम कर्तव्य है। हमें याद रखना होगा कि धरती हमारी नहीं हम धरती के हैं। माँ है वह हमारी। अपनी जीवनदायिनी माँ को हर संकट से बचाने के लिए हमें सर्वदा सन्नद्ध रहना चाहिए।इस पुस्तक में आपको धरती और धरती से जुड़े हर आत्मीय सद्भाव की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति देखने को मिलेगी।
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