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About The Book
Description
Author
आवारा भीड़ के खतरे – हरिशंकर परसाई यह पुस्तक हिंदी के अन्यतम व्यंगकार हरिशकर परसाई के निधन के बाद उनके असंकलित और कुछेक अप्रकाशित व्यंग-निबंधों का एकमात्र संकलन है ! अपनी कलम से जीवन ही जीवन छलकानेवाले इस लेखक की मृत्यु खुद में एक महत्त्वहीन-सी घटना बन गई लगती है ! शायद ही हिंदी साहित्य की किसी अन्य हस्ती ने साहित्य और समाज में जड़ ज़माने की कोशिश करती मरणोन्मुखता पर इतनी सतत इतनी करारी चोट की हो ! इस संग्रह के व्यंग-निबंधों के रचनाकाल का और उनकी विषय-वस्तु का भी दायरा काफी लम्बा-चौड़ा है ! राजनितिक विषयों पर केन्द्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की मांग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है ! वैसे राजनितिक व्यंग्य इस संकलन में अपेक्षाकृत कम हैं-सामाजिक और साहित्यिक प्रश्नों पर केन्द्रीकरण ज्यादा है ! हंसने और संजीदा होने की परसाई की यह आखिरी महफ़िल उनकी बाकि साडी महफ़िलो की तरह ही आपके लिए यादगार रहेगी !