रसवैद्य डॉ. श्री रामेश्वर दयाल बाजपेयी संकलित खोजपूर्ण प्रत्यक्षीकृत अनुभव रसग्रन्थ आयुर्वेदिक - न्यूक्लियर मेडिसिन (रस दीपिका) सत्य एवं परम सत्य के साक्षात्कार स्वरूप प्रस्तुत आर्यभाषा हिन्दी कृति के प्रथम अध्याय में रसो वै सः रसश्चपवनश्चेति कर्म योगो मूर्छित्वा हरितिरुजम् वन्धन मनुभूय मुक्तिदोयवति एकोऽसो रस राजः रीर मजरामरं कुरुते” आदि आर्ष वचनों के अनुरूप पारद-सूत-सूतेन्द्र रसेन्द्र आदि पर्यायों सहित ऐतिहासिक उत्पत्ति उसके खनिज उद्गम स्थल प्राप्ति स्थान तथा यंत्र उपकरण सहित स्वेदन से दीवनान्त पर्यन्त शोधन आदि विषयों का विवेचन करते हुये द्वितीय अध्याय में विभिन्न साध्य असाध्य नवीन संक्रमणशील तथा परमाणु विषाणु-कीटाणु युद्धकालीन रोगों की रोग नाशक दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी रस रसायनों की निर्माण विधि मात्रा पथ्य की प्रौद्योगिकी को प्रत्यक्ष किया गया है। - तृतीय अध्याय बुढ़ापा न आने देने के उपाय आयु बढ़ाने की कला शरीर को सृदृढ़ सबल सतेज तथा स्थिर बनाये रखने के उपक्रम सहित आवागमन रहित इसी मानव देह में जीवन्मुक्त होने के सरल सहज सवैज्ञानिक प्रौद्योगिकी एवं प्रावैधिकी पूर्ण विशिष्ट रसायन औषधियों को उपलब्ध कराया गया है। जो संसार की किसी भी चिकित्सा पद्धति में मिलना असंभव है। चतुर्थ अध्याय पारद की जारणा विशेष प्रकार पंचम अध्याय क्षेत्रीकरणपूर्वक भक्षण विधि तथा षष्ठम अध्याय अक्षय जीवनी ऊर्जा एवं अक्षर रोग प्रतिरोधी अनंत शक्ति से ओत-प्रोत रसकल्पों विशिष्ट रसायनों गुटिकाओं सहित उच्चकोटि की पारदभष्मों का निर्माण एवं परिशीलन प्रदर्शित कर सप्तम अध्याय आयुर्वेदिक रसकल्पों का है। अस्तु इस तकनीकी को भारत प्राप्त कर रोग वृद्धता एवं अकालमृत्युविहीन राष्ट्र भारतवर्ष वर्ष 2030 एवं राष्ट्रीय विजन पूर्ण विकसित भारत 2030 का संकल्प यथाशीघ्र सुनिश्चित कर आम जन जीवन को भी गौरवान्वित कर सकता है।पिता श्री रामेश्वर दयाल बाजपेयी जी के शिष्यत्व के फल स्वरूप अनुभूत संसार की हित कामना सेसंग्रहीत पुस्तकों व पुस्तकालय की उनके ब्रम्हलीन होंने के बाद मुझे आशीर्वाद मिला।तदनुरूप फार्माकोपिया आफ आयुर्वेद (बाजपेयी संहिता)रस दीपिकारस वैद्यकबृध्द वैद्यक वूटी वैद्यकआयुर्वेद प्रयोग संग्रह आन्गिरस दीपिका आदि प्रकाशित हुई। साथ ही संस्कृतभाषा के मेटा रसायनविषयक रस हृदय तंत्र प्रणीत आद्य स्वामी शंकर के गुरू भगवद्गोविन्दपादाचार्य की अर्थबोधिनी हिन्दी भाषा व रसेन्द्र चूड़ामणि के रचयिता आचार्य श्री सोमदेव चक्रवर्ती सम्राट के संस्कृतभाषा की विज्ञान बोधिनी हिन्दी भाषा टीका का प्रकाशन चौखम्भा कृष्ण दास अकादमी वाराणसी दवारा प्रकाशित हो चुकी है।
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