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About The Book
Description
Author
About the Book: छत्तीसगढ़ के महान स्वतंत्रता सेनानी की कहानी जिन्होंने 1936 में केवल 10 वर्ष की आयु में ही अपने घर में तिरंगा फहरा कर अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था | भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 में उन्होंने देशहित हेतु अपनी पढ़ाई का बलिदान कर पूर्ण रूप से अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज बुलंद की जिसके कारण उन्हें छः माह की सश्रम कारावास की सजा मिली | कारागृह में भी उन्होंने आन्दोलन कर जेलर को परेशान कर दिया था | सत्य घटनाओं पर आधारित इस कथा में बालक भुरुवा सिंह की देशभक्ति भारतीय संस्कृति से प्यार व मुख्यतः उनके जेल के अनुभवों को चित्रित किया गया है | इस रचना को पढ़ने वाले व्यक्तियों में निश्चित रूप से देशभक्ति की भावना जगेगी और जो व्यक्ति रुचि ही न दिखाए तो फिर उनका क्या ही कहना ? भारतवासियों के भविष्य के लिए सेनानियों ने स्वयं का वर्तमान दुःख में खपा दिया किन्तु कई लोग स्वतंत्रता व अपनी महान विरासत में अरुचि रखते हुए विदेशियों के मानसिक दास बन उनकी संस्कृति को पूजते हैं जो की क्रांतिकारियों के अमूल्य महान बलिदान का अपमान है | About the Author: शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में इनकी विशेष रूचि रखने वाले एस अंशु धुरंधर एक YouTuber (काव्य सिंहनाद) और लेखक हैं | विभिन्न भाषण व वाद-विवाद सम्मेलनों में भाग ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को निःशुल्क ट्यूशन लोगों में शिक्षा की जागरूकता बढ़ाने हेतु स्कूल आदि स्थानों पर कार्यक्रम संचालित एवं क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों में अपनी प्रस्तुति देते आये हैं | अधिनायक सरस्वती थॉट्स झोपडी में दीवाली शिक्षक हमे इससे क्या? व प्रेम के वियोग में आदि इनकी अन्य रचनाएँ हैं | kavyasinhnaad@gmail.com