बातों की फुलवारी सहायक पुस्तकमाला है। इसके आठ खंड हैं। इनका निर्माण कक्षा एक से आठ तक के शिक्षार्थियों की पठन-पाठन क्षमता और रुचियों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस पुस्तकमाला का लक्ष्य है शिक्षार्थियों में पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त अन्य पठन सामग्री को पढ़ने के प्रति ललक पैदा करना। इस पुस्तकमाला में अस्सी से अधिक लेखकों की रचनाएँ हैं। रचनाकारों की तरह हिंदी गद्य और पद्य की विविधता है। मसलन—चित्रकथाएँ कविताएँ कहानियाँ निबंध यात्रावृत्तांत संस्मरण रिपोर्ताज फ़िल्मजगत खेलजगत हास्यकथाएँ जीवनी अंश उपन्यास अंश आत्मकथांश पत्र देश-विदेश से जुड़े जानने योग्य विभिन्न तथ्य। संपूर्ण पठन सामग्री बच्चों की दुनिया से जुड़ी हुई है। आकर्षक चित्रांकन के साथ जिज्ञासा उत्पन्न करनेवाली और मनोरंजन करनेवाली चित्रकथाएँ हैं तो एक बार पढ़ते ही याद रह जानेवाली कविताएँ। भाषा सरल और सहज है। रचनाओं में पिरोए गए विचार सहजता से बोधगम्य हैं। छोटी-सी बात के अंतर्गत उपयोगी सुझाव हैं तो रचना से आगे के माध्यम से शिक्षार्थियों के रचनात्मक विकास में सहायक गतिविधियाँ रचना की बात द्वारा शब्दार्थ और मूल्यपरक प्रश्न दिए गए हैं तो नैतिक विकास में उपयोगी सामग्री भी। इस पुस्तकमाला का उपयोग रचनात्मक मूल्यांकन के लिए भी किया जा सकता है। इसमें दी गईं विभिन्न रचनात्मक गतिविधियाँ शिक्षार्थियों के रचनात्मक मूल्यांकन में सहायक हो सकती हैं। बातों की फुलवारी के बहाने दो बातें अतिरिक्त पठन की उपयोगिता से संबंधित भी की जा सकती हैं— अतिरिक्त पठन मनोरंजन और ज्ञान का श्रेष्ठतम सामंजस्य है। कई विधाएँ पढ़ने और सीखने का अवसर देता है। साहित्य से जोड़ने में सहायक होता है। ध्यान केंद्रित करने के अभ्यास में सहायक होता है। संकोच प्रवृत्ति से मुक्त करने में सहायक होता है। श्रवण कौशल का विकास करता है। कल्पनाशक्ति में विकास की अहम सीढ़ी माना जाता है। शब्दज्ञान वृद्धि और भाषा ज्ञान वृद्धि में सहायक होता है। जीवन मूल्यों को स्वतः सीखते जाना संभव बनाता है। और अंततः चिरस्थायी ज्ञान दे जाता है।.
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