योग के साथ बाबा रामदेव का ध्यान देश की विफल हुई व्यवस्थाओं की ओर गया। अतः उन्हें बदलने का कार्य उन्हें अपने हाथ में लेना पड़ा। भारत स्वाभिमान 2009 के रूप में मानों हमारे देश की स्वतंत्रता संग्राम का दूसरा चरण शुरू हुआ। जिसमें लोगों को वास्तविक रूप में स्वतंत्रता और अधिकार प्राप्त करवाना और व्यवस्था की असफलताओं से उत्पन्न हुई नई गुलामी से मुक्त करवाते हुए देश को पूर्णतः स्वतंत्र करना इनका लक्ष्य है। विदेशी ताकतों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का हमारे देश की नीतियों में हस्तक्षेप और धन की लूट को समाप्त करना भी भारत स्वाभिमान का लक्ष्य है। इस प्रकार एक योग ऋषि बाबा रामदेव एक राज ऋषि की भूमिका निभाने को सामने आए हैं! बाबा रामदेव के इस कार्य में नौ क्रान्तियाँ एक साथ इकट्ठी मिली हुई हैं जैसे :- योग क्रान्ति व्यक्तिगत क्रान्ति सामाजिक क्रान्ति आर्थिक क्रान्ति राजनीतिक क्रान्ति राष्ट्रीय क्रान्ति ग्रामीण क्रान्ति कृषि क्रान्ति और मानवीय क्रान्ति! बाबा रामदेव के व्यक्तित्व में इस कठिन कार्य को आरम्भ करने और सफलता तक पहुँचाने की सभी योग्यताएँ विद्यमान हैं।
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