बबलू के जीवन में एक बड़ी त्रासदी तब हुई जब वह 6 साल का था। उसके मातापिता की 1964 में मृत्यु हो गई। बबलू फिर अपने मामा के घर में पलाबढ़ा। यह उसके जीवन का एक बुरा अनुभव था। हालाँकि उसने पहले मेहनत से पढ़ाई की फिर नौकरी की फिर लव और फिर लव मैरिज..... जीवन में स्ट्रगल कर अच्छा पैसा कमाया। शादी के बाद 2 पुत्र हुए। बड़ा बेटा अलग रह रहा है।वह अब फिर से संघर्ष कर रहा है। अब उसने जिंदगी की आखिरी पारी खेलने का फैसला किया है अपने अनुभव और कड़ी मेहनत के साथ।इस किताब में दुख प्यार खुशनुमा दौर फिर से संघर्ष और लोगों के लिए कुछ सलाह है।
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