भारतीय धर्मग्रंथों में महाकाव्य रामायण एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है जो हमें भगवान श्री राम के जीवन चरित्र एवं उनके द्वारा समाज के लिए स्थापित किये गए आदर्शों को दर्शाती है। आदि काल से इस महाकाव्य की अनेक ऋषि-मुनि एवं विद्वानों ने अपने अपने शब्दों में रचना की है और उनके आदर्शों को समाज में स्थापित करने का प्रयास किया है। मित्रों मेरी मेरे बाल्यकाल से ही यह इच्छा थी कि भारत का हर बच्चा भगवान श्री राम के महान चरित्र को जाने। परन्तु संस्कृत अवधि व अन्य प्रादेशिक भाषाओं में होने के कारण यह रामायणें बच्चों की पहुँच से दूर थी। साथ-ही-साथ जो लोग रामायण पढ़ना चाहतें हैं वह भी उसके लंबे होने के कारण नहीं पढ़ पाते हैं। मेरा यह सपना था कि रामायण को ऐसे सरल ढंग से प्रस्तुत किया जाए की हर कोई उसे कम समय में पढ़कर समझ सके। इसलिए मैंने यह बालमुखी रामायण लिखी। मैंने इसे मात्र २५० छंदों में हिंदी भाषा में लिखा है ताकि हर कोई भगवान राम के महान चरित्र को समझ सकें। वैसे तो महाकाव्य रामायण में श्री राम के बाल्यकाल से लेकर उनके वैकुंठ प्रस्थान तक अनेकानेक कथाओं वर्णन है एवं उनके माध्यम से समाज को कई संदेश दिए गए हैं लेकिन मैंने बालमुखी रामायण के माध्यम से उन कथाओं में से कुछ मुख्य कथाओं द्वारा उनके चरित्र एवं आदर्शों को संक्षेप में प्रस्तुत किआ है। मैं आप सभी से यह आग्रह करता हूँ की इस रामयण को पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति के साथ पढ़ें और मेरे साथ बोलें जय श्री राम। अवि शर्मा
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