Balram ki Lokpriya Kahaniyan
Hindi


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About The Book

बलराम की कहानियों में एक तरफ प्रेमचंद जैसी आम बोलचाल की सहज-सरल भाषा है तो दूसरी तरफ फणीश्वनाथ रेणु जैसी आंचलिकता। उनके बीच से उन्होंने अपनी नई राह बनाई। भारतीय जनजीवन को समग्रता में अंकित करनेवाले बलराम ऐसे कथाकार हैं जिनकी कहानियाँ एक तरफ दूरदर्शन के इंडियन क्लासिक का हिस्सा बनीं तो दूसरी तरफ साहित्य अकादेमी के लिए कमलेश्वर ने उन्हें कालजयी कहानी के रूप में चुना। लगभग सभी वरिष्ठ कथाकारों-समालोचकों ने अपने कहानी-संचयनों में इनकी कहानियाँ शामिल की हैं। बलराम जितने अच्छे कहानीकार हैं उतने ही अच्छे समीक्षक और संपादक भी हैं। ‘लोकायत’ के स्तंभ ‘आखिरी पन्ना’ ने इन्हें साहित्यिक पत्रकारिता के शिखर पर पहुँचा दिया जो हर आम और खास की पहली पसंद बन गया जिसकी वजह से पाठक ‘लोकायत’ को उसके पहले पन्ने से नहीं ‘आखिरी पन्ने’ से पढ़ने लगे। ऐसे चर्चित लेखक की दो दर्जन कहानियों का यह संचयन सुधी पाठकों को रुचेगा ऐसी उम्मीद हमें है।.
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