उ.प्र. हिन्दी संस्थान लखनऊ (भाषा विभाग उ.प्र. सरकार) द्वारा प्रतिष्ठित “यशपाल पुरस्कार” (2020) से पुरस्कृत कृति - भारत देश जो विश्व की सभ्यता के उद्भव का केंद्र रहा है। जहाँ की संस्कृति अनन्य है। किसी भी देश की स्त्री को समाज में मिलने वाला सम्मान उस देश की सभ्यता और प्रगति का आईना होता है। इस भारत देश की नारी शांति का प्रतिरूप है। करुणा दया स्नेह और सौंदर्य का सागर भी है। प्रकृति ने पीड़ा और कष्ट सहने की क्षमता जो नारी को प्रदान की है वह अद्वतीय है। भारतीय नारी को पिता पति या पुत्र का सम्बल चाहिए ही चाहिए आधुनिक नारी के लिए ये निर्मूल है। प्रस्तुत कहानी संग्रह में भारतीय नारी के अनेक रूपों में से कुछ ही अंशों को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है। साथ में भारतीय संस्कृति और भारतीय नारी के प्रति समाज के विचार आधुनिक भारतीय परिवेश समाज की अच्छाईयों और कुरीतियों को भी उजागर करने का उपक्रम भी किया गया है। -- वरिष्ठ हिन्दी लेखक डॉ. प्रदीप कुमार ‘नैमिष’ (MBBS MD) पेशे से चिकित्सक एवं किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (K.G.M.U Lucknow) में शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology) के प्रोफ़ेसर हैं। नैमिष जी की प्रारंभिक शिक्षा नैमिषारण्य सीतापुर से एवं उच्च शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय कानपुर - गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज कानपुर (G.S.V.M. Medical College Kanpur) से हुई। नैमिष जी मानव शरीर विज्ञानी होने के साथ-साथ उसके मन-मष्तिष्क और गतिविधियों को भी महीन तरीक़े से देखते हैं।
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