Banaras Wala Ishq

About The Book

तू मेरी लाल सलाम मैं तेरा जयश्रीराम जीते जी आइये या राख होकर आइये बनारस तो आपको आना ही पढ़ेगा । तो देखिये मत ठकुराइन के दुपट्टा का एक किनारा पकड़ बनारस घुम आइये इस ग्रन्थ के जरिये । बनारस वाला इश्क ( वो आजादी गैंग की लाल सलाम मैं भगवाधारी जयश्रीराम ) ये ठकुराइन इ जो जुड़ा बना के क्लिप लगाती हो न महादेव कसम हम इसमें घण्टों फँसे रहते है। ठकुराइन - बक्क यार शुरू हो गए मिश्रा -अभी हुऐ कहा है जानेमन ठकुराइन - इरादा ठीक नहीं लग रहा है मिश्रा जी आपका मिश्रा - अब सामने कुछ नया और मीठा सा हो तो इरादा बदल ही जाता है। ठकुराइन - नया ???? मीठा ???? ओये मिस्टर मैं नई हूँ तो पुरानी वाली कौन थी........और मीठा मतलब हम खाने वाली चीज है क्या ???? मिश्रा - खाने वाली नही तो चखने वाली तो हो ही मिठास भरा मालूम पड़ता है। (मधुबन में बैठ लाल सलाम और जयश्रीराम के इस इश्क में ठकुराइन और बुबुन मिश्रा एक एक पन्ना जोड़ते रहते) अब टुकुर टुकुर देखिये मत लिंक पर जाइये और बनारस वाला इश्क घर ले आइये ।
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