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About The Book
Description
Author
बंद मुट्ठियों के सपने—श्याम सुंदर भट्ट डीकरा! तुम्हारे सिर पर गांधी की टोपी है इसलिए तू कैसा भी हो बेईमान नहीं हो सकता।’ ’ इससे पूर्व कि मैं उससे कुछ कहूँ वह जा चुकी थी। उसके गहनों का थैला मेरे हाथ में अटका हुआ था। कुछ क्षणों पूर्व घायल बहनों के हाथों में झंडे देखे थे। गिरते- पड़ते भी उनके मुँह से भारतमाता की जय’ के स्वर फूट रहे थे। लाठियाँ खाने के बावजूद जुलूस आगे जा चुका था। और अभी-अभी वह महिला मुझे बेईमान न होने का सबक सिखाकर जा चुकी थी। गांधी पर भाषण देना और गांधीजी को इस रूप में देखना बड़ा ही अद्भुतअनुभव था। जीवन में पहली बार समझा कि गांधी क्या है? गांधी भावराज्य के तंतुओं का एक मकडज़ाल है जो व्यक्ति के मन को बाँधता है। जो भी एक बार इस परिधि में आ जाता है उसका निकल पाना कठिन हो जाता है। गांधी मानव के मन की उस सीमा तक पहुँच गया था जो ईमानदारी को गांधी टोपी जैसे प्रतीक से जोड़ रहा था। (इसी उपन्यास से)