कहते हैं खून सने हांथ कोई कितनाहूं धोले पर मन से उसकी गंध नहीं जातीवो कहीं न कहीं हम सबके भीतर अपने होने का वजूद बनाये रखती हैरूहानी वजूद को दरकिनार करने वाले शायद ये भूल जाते हैं कि हर आंखें हर शय को नहीं देख पातीं इसका मतलब ये नहीं कि जिस शय को आप नहीं देखे नहीं महसूस किये उसे दूसरा न देखा हो न महसूस किया हो इस कायनात में सब जायज है जैसे हवा वैसे रूह भीआइए जाने ऐसी ही एक गंध का राज इसी हॉरर उपन्यास से...कौन थी बंजारिका और क्या था उसका राज़
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.