लेखक अश्विनीकुमार दुबे ने हमारे नेताओं राजनीति अंधविश्वास और अवसरवादी वृत्ति पर जो व्यंग्य लिखे हैं वे हमारी उसी अंधकार-युग की कथा कहते हैं जो विदेशी सत्ताकाल में हम भोगते रहे हैं एवं हम आज भी अनेक अंधकारों से ग्रस्त हैं जैसे भ्रष्टाचार पाखंड धर्म-निरपेक्षता के नाम पर दंगे तरह-तरह के स्वार्थ-जन्य व्यवसाय तरह-तरह के आडंबरी दिवस आदि। ये अंधेरे हमें सत्य की रोशनी मनुष्यता की रोशनी नैतिकता की रोशनी और प्यार की रोशनी से वंचित करते हैं। इस पुस्तक में लेखक ने इन सभी विषयों पर अपना काया-वसन बुना है इसलिए ये रचनाएँ पठनीय हैं।
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