मेरी कविताओं का यह संग्रह 'बस कुछ वक़्त और ' मेरी पहली प्रकाशित पुस्तक है । यह पुस्तक मेरे जीवन से जुडे कुछ अनुभवो का आईना है जो की मैने आप सभी के सामने प्रस्तुत किया है । इस पुस्तक का नाम बस कुछ वक़्त और रखने का एक सोच यह भी हो सकता है की इस पुस्तक मे समाहित ज्यादातर कविताएँ वक़्त के ऊपर ही अधारित है य़ा मैं अगर इसे सरल भाषा मे कहुँ तो इनमे से ज्यादातर कविताओं का सम्बंध वक़्त से ही है। मेरी ये कविताएँ आपसी वक़्त अच्छा वक़्त बुरा वक़्त आखरी वक़्त इन सभी का एक दर्पन भी है जो हर किसी के जीवन मे कभी न कभी जरूर आता है इनमे से कुछ कविताएँ आपको अपनी जीवन से जुडी हुई लगेंगी या ऐसे ही किसी वक़्त का यहाँ जिक्र भी हो सकता है जिस वक्त का आपने कभी सामना किया हो । एक वक्त वो जो बित चुका है और एक वक्त वो जो आने वाला है हम सब इन दोनो वक्त के बीच के वक्त मे ही जीए जा रहें हैं और आने वाले वक्त को ध्यान मे रखते हुए बिते हुए वक्त के बारे मे सोचा करते हैं । एक वो वक्त जिसमे कुछ पाने की खुशी रहती है और एक वक्त जिसमे कुछ खोने का गम भी रहता है कोई इस वक्त को जल्दी बीत जाने को कहता है और कोई चाहता है कि ये वक्त कभी न बीते उसी एक वक्त मे यह वक्त दो लोगो के दो अलग वक्त को दर्शाता है और जब यही वक्त किसी के पास कम रह जाता है तो वह यही सोचता है कि ' बस कुछ वक्त और' इन कविताओं के शब्द भी बड़े सहज एवं सरल है । मैने यह कविताएँ आत्मकेंद्रित हो कर खुद को मुश्किल वक्त मे गुमसुम रखकर खुद को अपने विवेक से जोड़कर फिर ढूंढे गए एक एक शब्दों को पंक्तियों मे जोड़कर अपनी ये रचनाएं तैयार की है । आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी ये पुस्तक पसंद आयेगी । प्रियेश कुमार झा
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