प्राचीन भारतीय इतिहास व संस्कृति के अध्ययन हेतु बौद्ध साहित्य का महत्व अकादमिक जगत में सुस्थापित है। बुद्धशासन अर्थात बुद्ध के उपदेश सर्वकालिक तथा सर्वत्र प्रभावशील हैं। विश्वशांति हेतु बुद्ध की देशना को महत्त्व को सभी ने स्वीकार किया है। संस्कृत के प्राचीन अप्राप्य बौद्ध ग्रन्थों के पुनर्स्थापन में तिब्बती भाषा एवं साहित्य का अप्रतिम व अमूल्य योगदान है। प्रस्तुत पुस्तक तिब्बती बौद्ध धर्म के सम्प्रदायों तथा उनके रीति-रिवाजों के वर्णन के साथ साथ बौद्ध दर्शन की विशिष्टता तथा उनके महत्व को भी समेटे हुए है। भारतीय दर्शन की आधारभूमि तथा इसकी विशिष्ट सांस्कृतिक धरातल को शोधार्थियों के समक्ष लाना इस पुस्तक का उद्देश्य है। साथ ही साथ इस विषय को तिब्बती बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में एक तथ्यपरक तथा नवोन्मेषी अध्ययन सामग्री के रूप में उपलब्ध कराना भी पुस्तक का अभिप्राय है।
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