हिंदी पल्प की दुनिया का एक ऐसा अध्ययन जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रेरणाओं और भारतीय भाषाओं के लोकप्रिय साहित्य का सही तरीके से लेखा-जोखा किया गया है। इसमें बातचीत बैठकें कहानियाँ शोध और विश्लेषण शामिल हैं। बेगमपुल एक ऐसी जगह है जहाँ कई पल्प लेखक तब घूमते रहते थे जब मेरठ हिंदी पल्प का बाज़ार हुआ करता था। दिल्ली के दरीबा और खारी बावली से पहले मेरठ के शास्त्री नगर-ईश्वर नगर वाराणसी और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) का बोलबाला था। स्कूली किताबों में छिपकर इसे पढ़ने के लिए पागल पाठकों के लिए यह जादू कैसे पैदा हुआ? बेगम पुल से दरियागंज―देसी पल्प की दिलचस्प दास्तान हिंदी पल्प साहित्य के समृद्ध ताने-बाने की एक दिलचस्प खोज पेश करती है इसकी जड़ों विकास और इसे आकार देने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों की खोज करती है। यह उन चहल-पहल भरी सड़कों जीवंत कवर और आकर्षक कहानियों के प्रति श्रद्धांजलि है जिन्होंने लाखों लोगों को आकर्षित किया।
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