अवध के शासक वाजिद अली शाह की बेगम हज़रत महल सन् 1857 की क्रांति में भाग लेने वाली पहली वीरांगना थीं। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अवध राज्य पर क़ब्ज़ा कर वाजिद अली शाह को बन्दी बना लिया। जिसके बाद बेगम हज़रत महल ने अवध की बागडोर अपने हाथों में ली और अपने नाबालिग बेटे को राजगद्दी पर बिठाकर खुद सारे राज-काज देखने लगीं। वे एक कुशल रणनीतिकार थीं जिनके अन्दर एक सैन्य एवं युद्ध कौशल समेत कई गुण विद्यमान थे। इन्होंने अंग्रेज़ों की सेना को दो बार हराया ही नहीं बल्कि उनकी हालत ऐसी दयनीय कर दी कि उन्हें रसद तक मिलना कठिन हो गया। बेगम हज़रत महल भारतीय स्त्री के स्वाभिमान और शौर्य की जीती-जागती मिसाल थीं। बेगम हज़रत महल वीणा वत्सल सिंह का ऐतिहासिक उपन्यास है। अपने शौर्य अैर पराक्रम व विलक्षण सूझ-बूझ के कारण इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज़ बेगम हज़रत महल का लेखिका ने बहुत ही सुंदर चित्रण किया है। उपन्यास की भाषा सरल और प्रवाहपूर्ण है। वीणा वत्सल सिंह का जन्म 19 अक्टूबर 1970 को हुआ। इनका एक उपन्यास तिराहा और दो कहानी-संग्रह अन्तर्मन के द्वीप एवं पॉर्न स्टार और अन्य कहानियाँ प्रकाशित हो चुके हैं। वर्तमान में प्रतिलिपि नसादिया टैक्नोलॉजी प्रा. लि. में कंटेंट एडीटर के पद पर कार्यरत हैं।
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