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About The Book
Description
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This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.रवीन्द्रनाथ एक ऐसे लोक कवि थे जिनका केंद्रीय तत्त्व आदमी की भावनाओं का परिष्कार करना था। वह मनुष्य मात्र के स्पंदन के कवि थे। एक ऐसे चित्रकार जिसके रंगों में शाश्वत प्रेम की गहरी अनुभूति है एक ऐसा नाटककार जिसके रंगमंच पर सिर्फ ‘त्रादसी’ ही जिंदा नहीं है मनुष्य की गहरी जिजीविषा भी है। एक ऐसा कथाकार जो अपने आस-पास से कथालोक चुनता है बुनता है सिर्फ इसलिए नहीं कि घनीभूत पीड़ा की आवृत्ति करे या उसे ही अनावृत करे बल्कि उस कथालोक में वह आदमी के अंतिम गंतत्व की तलाश भी करता है। वर्तमान की गवेषणा तर्क और स्थितियों के प्रति वह सदैव सजग रहे। यही कारण है कि रवीन्द्र क्षितिजीय आकांक्षा के लेखक हैं।.रवीन्द्रनाथ एक गीत हैं रंग हैं और हैं एक असमाप्त कहानी। बांग्ला में लिखने पर भी वे किसी प्रांत और भाषा के रचनाकार नहीं हैं बल्कि समय की चिंता में मनुष्य को केन्द्र में रखकर विचार करने वाले विचारक भी हैं। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ उनके लिए नारा नहीं आदर्श - था। केवल ‘गीतांजलि’ से यह भ्रम भी हुआ कि वे केवल भक्त हैं जबकि ऐसा है नहीं। दरअसल विटमैन - की तरह उन्होंने ‘आत्म साक्ष्य’ से ही अपनी रचनाधर्मिता को जोड़े रखा। इसीलिए वे मानते रहे कविता की दुनिया में दृष्टा ही सृष्टा है ‘अपारे काव्य संसारे कविरेव प्रजापति।’ हालांकि वे पारंपरिक दर्शन की बांसुरी के चितेरे हैं फिर भी इसमें सुर सिर्फ रवीन्द्र के हैं। अपनी आस्था और शोध के सुर। कला उनके लिए शाश्वत मूल्यों का संसार था।