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About The Book
Description
Author
हास्य-ऋषि काका हाथरसी ने न केवल हिंदी कवि सम्मेलन के मंच पर हास्य को स्थापित किया बल्कि उसको बहुत ऊँचा स्थान भी दिलाया। लोकप्रियता के शिखर पुरुष काका ने अपनी तुकांत एवं अतुकांत कविताओं के साथ अपने हास्य में जीवन की व्यापक विसंगतियों को समेटा। काकी के माध्यम से उन्होंने नारी को गरिमा प्रदान की। ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ या ‘लिंग भेद’ जैसी कविताएँ उनकी गहरी निरीक्षण क्षमता और खोजपूर्ण दृष्टि की परिचायक हैं। प्रस्तुत संकलन में उनकी वे कविताएँ हैं जो कविता प्रेमियों के हृदय-पटल पर राज करती आई हैं। यों काका की श्रेष्ठ कविताएँ एक संकलन के लिए छाँटना कठिन कार्य था लेकिन इन कविताओं ने हास्य का इतिहास बनाया है। निर्मल हास्य द्वारा समाज में कैसे सुधार किया जा सकता है ये कविताएँ हमें हँसाती हैं और यही सब सिखाती हैं।